भगवान भोलेनाथ किस व्यक्ति को अपने धाम बुलाते हैं?
भूमिका
भगवान भोलेनाथ, जिन्हें महादेव, शंकर, आशुतोष और भोलेनाथ कहा जाता है, सनातन धर्म में सर्वोच्च देवताओं में से एक हैं। वे अपने भक्तों की भक्ति, श्रद्धा और प्रेम से शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं। यही कारण है कि वे "भोले" कहलाते हैं।
हर शिवभक्त के मन में यह प्रश्न रहता है कि आखिरकार भगवान शिव किसे अपने धाम बुलाते हैं? यह धाम केवल कैलाश पर्वत ही नहीं बल्कि मोक्षधाम भी है, जहां आत्मा जन्म-मरण के बंधन से मुक्त होकर शिव में विलीन हो जाती है।
भगवान भोलेनाथ करुणा के सागर और भोलेपन के कारण “भोलानाथ” कहलाते हैं। धार्मिक ग्रंथों और शिवपुराण के अनुसार, वे हर भक्त पर कृपा करते हैं, लेकिन अपने धाम (कैलाश या मोक्ष धाम) उन्हीं को बुलाते हैं जिनमें कुछ विशेष गुण होते हैं। आइए शास्त्रों और पुराणों के आधार पर समझते हैं कि भगवान भोलेनाथ किन-किन व्यक्तियों को अपने धाम बुलाते हैं।
1. सच्चे और निष्काम भक्त भोलेनाथ उन भक्तों को अपने धाम बुलाते हैं जो केवल प्रेम और श्रद्धा से पूजा करते हैं। जो व्यक्ति बिना दिखावे, लोभ या भय के, केवल प्रेम और विश्वास से शिव की उपासना करता है। जिनकी भक्ति दिखावे के लिए नहीं होती। जो केवल लाभ, धन या सिद्धियों के लिए शिव की उपासना नहीं करते। बल्कि पूरे हृदय से "ॐ नमः शिवाय" का जाप करते हैं। शिवपुराण में भी वर्णन है कि भगवान उन भक्तों से प्रसन्न होते हैं जो निस्वार्थ भाव से उनकी स्तुति करते हैं। 2. पवित्र हृदय और सरल जीवन वाले भोलेनाथ स्वयं अति सरल और विरक्त हैं। वे भस्म को श्रृंगार मानते हैं और कैलाश पर्वत पर ध्यानमग्न रहते हैं। इसीलिए वे उन व्यक्तियों को अपना मानते हैं: जो लालच, घमंड और अभिमान से मुक्त हों। जिनका जीवन सादगी और पवित्रता से भरा हो। जो हर जीव-जंतु और मनुष्य के प्रति करुणा का भाव रखते हों। 3. धर्म और सत्य के पथ पर चलने वाले भगवान शिव का धाम उन भक्तों को मिलता है जो अपने कर्मों में धर्म का पालन करते हैं। जो झूठ, छल, हिंसा और अधर्म से दूर रहते हैं। जो जीवन में सत्य, अहिंसा, दया और क्षमा जैसे गुणों को अपनाते हैं। शिवजी स्वयं सत्य और न्याय के प्रतीक हैं, इसलिए वे सत्यनिष्ठ लोगों को ही अपने धाम बुलाते हैं। जो अपने जीवन में अहिंसा, सत्य, दया, क्षमा, संयम और करुणा को महत्व देते हैं तथा पाप से दूर रहकर धर्म का पालन करने वाले हों। 4. तपस्वी और भक्ति में स्थिर रहने वाले जो भक्त कठिन परिस्थितियों में भी भगवान का नाम नहीं भूलते, शिव उन्हें कभी नहीं भूलते। तपस्या, ध्यान और शिवनाम-स्मरण करने वाले व्यक्ति शिवधाम को प्राप्त करते हैं। जो भक्त जीवनभर “ॐ नमः शिवाय” का जाप करते हैं, वे मृत्यु के समय शिवधाम जाते हैं। 5. कर्मयोगी और सेवाभावी व्यक्ति भगवान शिव केवल भक्ति नहीं देखते, बल्कि कर्म को भी महत्व देते हैं। जो दूसरों की सेवा करते हैं। जो जरूरतमंदों की सहायता करते हैं। जो समाज और परिवार में सद्गुणों का प्रसार करते हैं। ऐसे सेवाभावी व्यक्ति भगवान के प्रिय होते हैं और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। 6. त्याग और वैराग्य वाले जो व्यक्ति भोग-विलास, लोभ और आसक्ति में नहीं उलझते, शिव उन पर विशेष कृपा करते हैं। जो अपनी आत्मा को पवित्र करते हैं और जिनका हृदय हर प्राणी के लिए करुणा से भरा हो। वैराग्यपूर्ण जीवन जीने वाले। सांसारिक इच्छाओं से मुक्त होकर शिव का ध्यान करने वाले। जिनका लक्ष्य आत्मिक शांति और मोक्ष हो। 7. मृत्यु के समय शिवस्मरण करने वाले गरुड़ पुराण और शिवपुराण में वर्णन है कि जो मृत्यु के समय भगवान शिव का नाम लेते हैं, उन्हें शिव स्वयं अपने धाम ले जाते हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि शिव अपने उन भक्तों को धाम बुलाते हैं, जिनका हृदय निर्मल है और जो जीवनभर अपने कर्मों से “शिवत्व” यानी शांति और कल्याण का प्रसार करते हैं। "ॐ नमः शिवाय" का स्मरण करने से मृत्यु भी मोक्षदायी बन जाती है। ऐसे भक्त को यमराज भी नहीं ले जाते, बल्कि शिवदूत उसे कैलाश ले जाते हैं। 🔱 अर्थात्: भगवान भोलेनाथ अपने धाम उन्हीं को बुलाते हैं जो भक्ति, करुणा, सच्चाई और पवित्र आचरण से जीवन व्यतीत करते हैं। भगवान भोलेनाथ हर भक्त से प्रेम करते हैं, लेकिन अपने धाम उन्हीं को बुलाते हैं जो जीवनभर सच्चाई, भक्ति, सेवा और सरलता से जीवन जीते हैं। शिवजी के लिए व्यक्ति की जाति, पद, धन या शक्ति मायने नहीं रखते। उनके लिए केवल निर्मल हृदय, भक्ति और अच्छे कर्म ही महत्वपूर्ण हैं। इसलिए हमें चाहिए कि हम अपने जीवन को सरल, पवित्र और सेवा-भाव से भरें, ताकि अंत समय में स्वयं भोलेनाथ हमें अपने धाम बुलाएँ। 
भगवान शिव अपने सच्चे भक्तों को धाम बुलाते हैं
शिवपुराण के अनुसार भगवान भोलेनाथ सच्चे, धर्मप्रिय और निष्काम भक्तों को अपने धाम बुलाते हैं।
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